
बसपा के वोटरों का झुकाव निकालेगा जीत का रास्ता
Ayodhya News : मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रचार अपने चरम पर पहुंच चुका है। भाजपा और सपा में दिख रही सीधी सीट टक्कर से चुनावी मुकाबला जहां दिलचस्प हो चला है वहीं किसी की जीत को लेकर कोई भी भविष्यवाणी पूर्वाग्रह साबित हो सकती है। उपचुनाव से दूर हो जाने पर अब बसपा के वोटरों पर दोनों दलों की निगाहें हैं जिसके लिए घमासान तेज हो गया है। ऐसे में दोनों दलों के स्टार प्रचारक भी कोई मौका अब गंवाना नहीं चाहते हैं। गुरुवार को जहां प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने मिल्कीपुर में एक बड़ी जनसभा को संबोधित कर भाजपा प्रत्याशी चन्द्रभानु के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की साथ ही प्रदेश सरकार के मंत्री नंद गोपाल नंदी ने व्यापारी सम्मेलन के माध्यम से व्यापारियों को बीजेपी के पक्ष में लाने की कोशिश की तो वहीं समाजवादी पार्टी की नेता डिंपल यादव ने गुरुवार को यहां रोड शो कर चुनाव प्रचार को धार दी है। इस बार मिल्कीपुर के उपचुनाव में जातीय फॉर्मूला भी रणनीति के केंद्र में है क्योंकि सपा और भाजपा की सीधी टक्कर दिख रही है। इससे आम जनता का भी चुनाव में दिलचस्पी बढ़ गई है।
पीडीए की काट में लगी भाजपा, तो सपा भी है अलर्ट मोड पर
हॉट सीट बनी मिल्कीपुर में सियासी प्रतिष्ठा दांव पर लगने से दोनों दलों में मतदाताओं को लेकर कुछ ज्यादा ही बेचैनी है। क्योंकि यह उपचुनाव भाजपा और समाजवादी पार्टी दोनों के लिए साख का सवाल बन चुका है। भाजपा इस सीट को जीतकर लोकसभा चुनाव में मिली हार का बदला लेने की रणनीति पर काम कर रही है, जबकि सपा के लिए यह सीट इसलिए अहम है क्योंकि यह उसके वरिष्ठ नेता अवधेश प्रसाद के इस्तीफे के बाद खाली हुई है। ऐसे में दोनों दलों ने इस चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा यहां जीत दर्ज कराकर पीडीए फॉर्मूले का जवाब देने में लगी है। इस सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र में करीब 3.58 लाख मतदाता हैं। जिनमें दलित, ओबीसी और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। सपा पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) फॉर्मूले के सहारे जीत की राह देख रही है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में इस फॉर्मूले से सपा को काफी फायदा हुआ था और दलित-पिछड़े समुदाय के लोग बड़ी संख्या में उसके साथ जुड़े थे। वहीं भाजपा ने सपा के इस समीकरण को तोड़ने के लिए रणनीति तैयार की है।पार्टी ने इस बार चंद्रभानु पासवान को उम्मीदवार बनाया है, जिससे दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की जा रही है। साथ ही भाजपा ओबीसी वोट बैंक को भी अपने पक्ष में करने की कवायद कर रही है। पिछली बार हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में यह वर्ग सपा के साथ गया था, जिसे बीजेपी फिर से अपने पाले में लाने के प्रयास में है। इस तोड़ को देखते हुए सपा भी अलर्ट मोड पर है।
दोनों दलों के लिए जातीय समीकरण हो सकता है गेम चेंजर
मिल्कीपुर सुरक्षित सीट पर हो रहे उपचुनाव में जातीय समीकरण ही सबसे बड़ा ‘गेमचेंजर’ साबित हो सकता है। यहां पासी बिरादरी के करीब 55 हजार, यादव 55 हजार, मुस्लिम 30 हजार, ब्राह्मण 60 हजार, क्षत्रिय-वैश्य मिलाकर 45 हजार, 20 हजार अन्य जातियों के मतदाता हैं। कोरी 18 हजार, चौरसिया, पाल और मौर्य वोटर भी अच्छी संख्या में हैं। परंपरागत रूप से सवर्ण वोटबैंक बीजेपी के साथ रहा है, लेकिन अब पार्टी ने दलित और पिछड़े मतदाताओं को भी अपने पक्ष में करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। इस सीट पर भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार के छह मंत्रियों को जिम्मेदारी दी गई है। दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठकसमय-समय पर क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। वहीं, सपा भी पूरी मजबूती से चुनावी मैदान में डटी हुई है। अब देखना यह होगा कि जातीय समीकरण और चुनावी रणनीतियों की यह जंग किसे सत्ता के करीब पहुंचाती है।
पुरानी रणनीति अपना रही सपा, भाजपा कर रही तूफानी सम्पर्क
स्थानीय नागरिकों से बातचीत करने पर पता चलता है कि भाजपाइयों को सपा की किसी भी गोपनीय रणनीति की कोई जानकारी नहीं है। सिर्फ पंप एंड शो वाली व्यवस्था पर पूरी तरह विश्वास करके चुनाव प्रचार में मंत्रीगण व 40 विधायक लगे हुए हैं। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि प्रचार करने आए विधायकों व मंत्रियों से अचानक पांच गांव के बारे में पूछ लीजिए जहां उन्होंने प्रचार किया हो तो नहीं बता पाएंगे। जबकि सपा प्रत्याशी के पिता एवं वर्तमान सांसद अपनी पुरानी रणनीति के साथ चुनाव मैदान में हैं। मिल्कीपुर में यादव मुस्लिम (पासी कोरी व अन्य) दलित जो अभी तक सपा के साथ दिख रहे हैं इसको करीब से देखा जाए तो चुनाव भाजपा के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता है। वहीं भाजपाई अपनी जीत पर पूरी तरह आश्वस्त हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिले के प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप शाही, जेपीएस राठौर, महापौर और प्रत्याशी चंद्रभान को पत्रकारों ने वस्तु की स्थिति से अवगत कराते हुए पूरी जानकारी के साथ जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की कार्यशैली से भी अवगत कराया। साथ ही विधायक गण जनता से कैसा व्यवहार कर रहे हैं यह भी बताया। एक तरफ दोनों दल या कह रहे हैं कि किसी को लालच या किसी प्रभाव से प्रभावित नहीं किया जा रहा है और निर्वाचन आयोग भी या कह रह रहा है कि किसी भी तरह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होने दिया जाएगा। सूत्रों की माने तो बीडीसी, ग्राम प्रधान यहां तक की ग्राम पंचायत सदस्यों तक की कीमत फिक्स हो गई है जिसमें दोनों दाल एड़ी से चोटी का जोर लगाने के साथ ही रेट घटा बढ़ा रहे हैं। इस चुनाव में हार जीत किस दल की होगी यह स्पष्ट होगा मतगणना के बाद। किंतु जनता की छुट्टी सभी को हैरान कर रही है।
